Wednesday, December 4, 2024
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फिरोजाबाद :- महापौर पद के आरक्षण के खिलाफ शासन में आपत्ति के बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

फिरोजाबाद। सामाजिक कार्यकर्ता व बसपा नेता सतेन्द्र जैन सौली और सवर्ण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर उपाध्याय ने फिरोजाबाद महापौर पद के आरक्षण को लेकर लखनऊ में आपत्ति दर्ज कराई थी। महापौर पद के आरक्षण के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। सतेन्द्र जैन सौली ने हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर याचिका दाखिल की है।

उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अकलंक जैन द्वारा शासन की 30 मार्च 2023 को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका में कहा गया है कि शासन ने नगर निगम चुनाव में पांच दिसंबर 2022 को जो अधिसूचना जारी की थी, उसमें फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद को अनारक्षित घोषित किया गया था जो कि चक्रानुसार क्रमानुसार सही था। वहीं दिनांक 30 मार्च 2023 को शासन द्वारा अधिसूचना जारी की गई उसमें फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद को पुनः पिछड़ा वर्ग महिला घोषित किया गया है, जबकि 2017 में भी पिछड़ा वर्ग महिला आरक्षण था यह नगर निगम अधिनियम की धारा 7 (5) का उल्लंघन है और नगर निगम फिरोजाबाद में निवास करने वाली सामान्य वर्ग की बहुसंख्यक आबादी के प्रतिनिधित्व को रोकने वाली है।

याचिका में पिछड़ा वर्ग आयोग के संबंध में हाईकोर्ट के आर्डर को लगाते हुए कहा गया है कि 5 दिसंबर 2022 की अधिसूचना को लेकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में जो प्रकरण चला था उसमें उच्च न्यायालय ने नगर पालिकाओं में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर आदेश दिए थे। उसमें नगर निगम का उल्लेख नहीं है जबकि नगर निगम एक्ट अलग है। इसलिए नगर निगमों पर यह लागू नहीं होता। अतः जो फिरोजाबाद महापौर पद का आरक्षण बदला गया है वह गलत है। चार अगस्त 2014 से पहले जब फिरोजाबाद नगर पालिका थी, जब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण था। उसके बाद नगर निगम का दर्जा मिला तो पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रहा, तो क्रमानुसार सामान्य वर्ग का आरक्षण होना चाहिए था। क्योंकि पिछले लगभग 15 वर्षों से फिरोजाबाद में सामान्य वर्ग का आरक्षण नहीं रहा है, जबकि पिछड़ा वर्ग महिला को दो-दो बार आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।

सत्येंद्र जैन सोली ने कहा कि अप्रत्याशित ढंग से फिरोजाबाद नगर निगम महापौर पद का जो आरक्षण बदला गया है वह सामान्य वर्ग के प्रतिनिधित्व को रोकने की साजिश है। वह नहीं चाहते कि शहर में सामान्य वर्ग से भी लोग राजनीति में आगे आए इसलिए ऐसा करने वालों का चेहरा जनता में उजागर होने चाहिए। अगर सामान्य वर्ग की सीट होती, तो सभी जातियों के लोग चुनाव लड़ने का अवसर पाते।

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