जब आप सो रहे थे, भारत ने लिया पाकिस्तान से पहलगाम का बदला: ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया। भारतीय सेना ने रात 1.44 बजे जारी एक बयान में कहा कि सैन्य हमले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए।
7 मई 2025 की रात, जब भारत की जनता अपने घरों में सो रही थी, भारतीय सशस्त्र बलों ने एक ऐतिहासिक और साहसी कदम उठाया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंक के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। यह हमला न केवल भारत के दिल पर चोट था, बल्कि उन नवविवाहित जोड़ों के लिए एक त्रासदी था, जिनका सिंदूर आतंकियों ने छीन लिया।
ऑपरेशन सिंदूर: बदले की आग, संयम की ठंडक
ऑपरेशन सिंदूर का नाम उन महिलाओं के सम्मान में रखा गया, जिनके पतियों को पहलगाम हमले में खो दिया गया। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर इस अभियान को अंजाम दिया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया। ये ठिकाने बहावलपुर, कोटली, मुरिदके, मुजफ्फराबाद और सियालकोट जैसे क्षेत्रों में थे।
भारत ने इस ऑपरेशन को “सटीक, संयमित और गैर-उत्तेजक” बताया। विशेष हथियारों और मिसाइलों के जरिए किए गए इस हमले में किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। सूत्रों के अनुसार, 12-17 आतंकवादी मारे गए और 55-60 घायल हुए। सभी 9 लक्ष्य पूरी तरह नष्ट किए गए। भारतीय सेना ने X पर पोस्ट किया: “Justice is served. Jai Hind!”
क्यों था यह ऑपरेशन जरूरी?
पहलगाम हमला भारत के लिए एक जघन्य अपराध था। आतंकी संगठनों ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि भारत की संप्रभुता और शांति को चुनौती दी। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं रहेगा। यह ऑपरेशन न केवल बदला था, बल्कि भविष्य में होने वाले हमलों को रोकने की चेतावनी भी थी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और बढ़ता तनाव
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को “कायराना” करार दिया और कहा कि वह इसका जवाब “अपने समय और जगह पर” देगा। इसके बाद नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारी गोलीबारी की खबरें सामने आईं। भारत ने भी अपनी तैयारियों को और मजबूत किया। श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, लेह जैसे हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द या विलंबित हुईं, और भारत ने पाकिस्तान के साथ डाक सेवाएं और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख
भारत ने ऑपरेशन से पहले अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई और रूस जैसे देशों को सूचित किया। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। वैश्विक मंच पर भारत ने यह स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ था, न कि पाकिस्तान के खिलाफ।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिध्वनि
भारत में ऑपरेशन सिंदूर को व्यापक समर्थन मिला। विपक्षी नेताओं जैसे प्रियंका चतुर्वेदी और तेजस्वी यादव ने सेना की तारीफ की। X पर कुछ यूजर्स ने ऑपरेशन के नाम को हिंदुत्व से जोड़ा, लेकिन अधिकांश ने इसे पहलगाम के शहीदों के लिए न्याय के रूप में देखा। यह ऑपरेशन भारत की एकजुटता और दृढ़ता का प्रतीक बन गया।
मॉक ड्रिल: तैयारियों का इम्तिहान
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने अपनी सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने के लिए देश भर में मॉक ड्रिल का आयोजन कर रहा है। ये ड्रिल आपातकालीन परिस्थितियों, जैसे आतंकी हमले या सीमा पर तनाव, से निपटने की तैयारी का हिस्सा है। स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर आयोजित इन ड्रिल में लोगों को सुरक्षित निकासी, प्राथमिक चिकित्सा और संकट प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जायेगा।
इन मॉक ड्रिल का उद्देश्य न केवल सुरक्षा बलों की तत्परता को परखना है, बल्कि आम नागरिकों में जागरूकता और आत्मविश्वास पैदा करना भी है। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इन ड्रिल पर खास ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने नागरिकों से अपील की कि वे इन ड्रिल को गंभीरता से लें और किसी भी संभावित खतरे के लिए तैयार रहें।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है। जब आप सो रहे थे, भारत ने न केवल पहलगाम के शहीदों का बदला लिया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया कि वह अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। मॉक ड्रिल जैसे कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत न केवल प्रतिक्रिया देने में सक्षम है, बल्कि किसी भी खतरे के लिए पहले से तैयार भी है।
जय हिंद!