प्रयागराज मे हुई एक घटना ने पूरे प्रयागराज मे दहशत का माहौल पैदा कर दिया है 47 सेकंड मे हुई इस बारदात को जिसने देखा बो भोचक्का रहा गया,जी हा हम बात कर रहे है उमेश पाल मर्डर केस की, हम अपनी इस ख़बर के माध्यम से आपको बतायेगे उमेश पाल कौन थे उनका मर्डर क्यों किया गया इसके पीछे की मुख्य बजह क्या थी

24 फरवरी की शाम 4 बजकर 56 मिनट पर उमेश की सफ़ेद रंग की कार धूमनगंज में उनके घर के सामने आकर रुकी। उमेश दरवाजा खोलकर अभी गाड़ी से ठीक नीचे भी नहीं उतरे थे कि बाइक पर आए शख्स ने गोली चलाई। पहली गोली सीसीटीवी में 4 बजकर 56 मिनट 28 सेकेंड पर चली।

उमेश के गनर कार से उतरते तब तक एक और बदमाश बाइक से आया और उसने गनर पर भी गोली चला दी। दे दनादन गोलियां चल रही थीं। उमेश और दोनों गनर को गोलियां लग रही थीं और दीवारों से भी बुलेट टकरा रही थीं
अब तक उमेश पाल को लगभग 4-5 गोली लग चुकी थी उसके बाबुजूद उमेश पाल ने हिम्मत दिखाई और वह अपने घर की तरफ बढ़ने लगे लेकिन शायद हमलावर यह फैसला करके आये थे की वह उमेश को जिन्दा नहीं छोडेंगे तभी एक और हमलावर बाइक पर आया और उसने उमेश के ऊपर बम फेक दिया और सभी बदमाश बाइक से फरार हो गये
उमेश के परिजन उमेश को लेकर अस्पताल पहुंचे। वहां पर डॉक्टरों ने उमेश और उनके एक गनर को मृत घोषित कर दिया।

इस पुरे हत्या कांड की शुरुबात होती है पूर्व बसपा विधायक राजू पाल के हत्या कांड से दरसल बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद के बीच दुश्मनी करीब 17 साल पुरानी है। राजू पाल हत्याकांड में जब उमेश गवाह बने तो उनका अपहरण हो गया था। जिसका आरोप अतीक पर लगा।

उमेश अतीक गिरोह के खिलाफ अब तक पांच FIR करा चुके थे। 25 जनवरी 2005 को शहर पश्चिम के विधायक राजू पाल को सुलेम सराय इलाके में गोलियों से भून दिया गया था। उस समय राजू पाल के दोस्त और रिश्तेदार उमेश पाल पूरे मामले के गवाह बन गए थे।
राजू पाल हत्याकांड में गवाह बनते ही अतीक गिरोह उमेश पाल को दुश्मन की नजर से देखने लगा। उन पर कई बार हमले की कोशिश हुई, लेकिन वे बच निकले थे। 28 फरवरी 2008 को उमेश का अपहरण कर लिया गया था। उनके साथ मारपीट की गई। धमकी दी गई, गवाही दी तो मार दिया जाएगा। बाद में उन्हें छोड़ा गया तो उन्होंने अतीक, अशरफ समेत गिरोह के कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसके बाद भी अतीक के लोग उमेश के पीछे पड़े रहे। 11 जुलाई 2016 को उमेश गवाही देने कचहरी गए थे। उन पर कचहरी परिसर में ही जानलेवा हमला किया गया। उमेश ने अतीक, अशरफ समेत गिरोह के तमाम लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

दोनों मामले कोर्ट में चल रहे थे। इस बीच, उमेश ने अतीक गिरोह के खिलाफ तीसरी एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके अलावा 2022 में जान से मारने की धमकी और एक अन्य मामले में एफआईआर लिखाई गई थी।
अतीक गिरोह ने उमेश पर न सिर्फ हमले कराए और धमकियां दीं, बल्कि 2016 में धूमनगंज में जीतेंद्र पटेल की हत्या के मुकदमे में नामजद भी करवा दिया। हालांकि जांच में उमेश को बरी कर दिया गया।

फिलहाल इस पुरे हत्या कांड में उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर धूमनगंज थाना में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम एवं नौ अन्य साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506, 120-बी, 34, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 3 और आपराधिक कानून अधिनियम, 1932 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।