उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर ओबीसी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. इस रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से निकाय चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण का निर्धारण होगा जिससे पुरानी सूची में आरक्षित सीटों की स्थिति में बड़ा उलटफेर हो सकता है. इससे चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे कई दिग्गजों के अरमानों पर पानी भी फिर सकता है.
उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां फिर से बढ़ गई हैं. नगर निगम के मेयर, नगर पालिका नगर पंचायत के अध्यक्ष और वार्ड पार्षद सीटों के लिए ओबीसी आरक्षण को तय करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी. अब इस रिपोर्ट को शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट में मंजूरी दी जा सकती है. ऐसे में आयोग रिपोर्ट के आधार पर निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग के लिए सीट का आरक्षण नए सिरे से तय किया जाएगा जिसके चलते पूर्व में जारी आरक्षण सूची में बड़ा उलटफेर हो सकता है.
यूपी निकाय चुनाव के लिए जारी आरक्षण सूची पर आपत्ति जताते हुए तमाम लोगों ने अदालत में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिना आरक्षण के ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार को ओबीसी विरोधी बताते हुए हमला बोल दिया था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ओबीसी आयोग का गठन करके 31 मार्च 2023 तक जिलों का सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. सरकार ने दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के जस्टिस रहे राम औतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय ओबीसी आयोग का गठन किया था.