हमारे हिन्दू धर्म में बहुत सी परम्पराये है | और हिन्दू धर्म धर्म में जन्म से लेकर मरणोपरांत तक कई तरह की परम्पराओ का निर्वहन किया जाता है | हमारे हिन्दू धर्म की परम्पराये अलंकार की तरह होती है जो न की केवल हिन्दू धर्म को ही नहीं बल्कि हमारे पूरे भारत देश के प्रति दुनिया को आकर्षित करती है | लेकिन ये परम्पराये निर्थक या अनावश्यक नहीं है इसके पीछे धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक तर्क भी हुआ है तो जानिए हमारे हिन्दू धर्म की परम्पराये और उनके पीछे का वैज्ञानिक कारण |

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Traditions related to Hindu religion and the secret and scientific logic behind them

1.माथे पर तिलक लगाना 

हिन्दू परम्पराओं के आधार पर विभिन्न धार्मिक जगहो पर और पूजा पाठ में तिलक लगाया जाता है | हमारे हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है | इसे लगाने के लिए खासतौर पर कुमकुम और सिंदूर का उपयोग किया जाता है | माना जाता है की कुमकुम सुहागन महिलाओ के लिए सुहाग और सौन्दर्य  के  प्रतीक के रूप में जीवन का अभिन्न अंग होता है | लेकिन इसके एक वैज्ञानिक कारण भी है | वैज्ञानिक नजरो से देखा जाये तो मानव शरीर में आँखों के मध्य से लेकर माथे तक एक नस होती है | तो जब भी माथे पर तिलक या कुमकुम लगाया जाता है तो आँखों के मध्य उस नस पर दवाब पड़ता है जिससे वह और सक्रीय हो जाती है , और पूरे चेहरे की मासपेशियो तक रक्त संचार बेहतर तरीका से होता है | इससे ऊर्जा का संचार होता है और सोदरा मई भी चार चाँद लग जाते है |

2. हाथ जोड़ना या नमस्ते करना 

हमारे हिन्दू रीती रिवाज में हमारे यहाँ मिलते समय या अभिवादन करते समय हाथ जोड़े कर प्रणाम किया जाता है | इसे हमारे यहाँ नमस्कार या नमस्ते कहते है | जो की हमारे हिन्दू समाज में सम्मान का प्रतीक होता है | लेकिन हाथ जोड़कर ऐसे प्रणाम करने के पीछे भी वैज्ञानिक तर्क है हाथ जोड़कर अभिवादन करने पर वैज्ञानिक तर्क ये है की जब हम हाथ जोड़ते है तो तभी सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आ जाते है | तो उन पर दवाब पड़ता है इस तरह का दवाब एक्यूप्रेशर का काम करती है | एक्यूप्रेशर पद्दति के अनुसार ये दवाब आँखों ,कानो और दिमाग के लिए प्रभावकारी होता है | इस तरह से नमस्कार कर हम किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक प्रभावित कर सकते है | इसके साथ हम कई बीमारियों से बच जैसे यदि हम किसी से हाथ मिलाते है तो हमें संक्रमण का खतरा बना रहता है लेकिन यदि हम हाथ जोड़कर अभिवादन करते है तो हमें कोई संक्रमण का खतरा नहीं होता है और हम कई संक्रमण से बच सकते है |

3. पैरो को छूना 

हमारे हिन्दू धर्म में भगवान से लेकर बड़ो  बुजर्गो तक का आशीर्वाद लेने की परंपरा है जिसे हमारे हिन्दू धर्म मए चरण स्पर्श कहा जाता है | हर हिन्दू परिवार में बचपन से ही बड़ी का आशीर्वाद. लेना सिखाया जाता है हिन्दू परिवार में चरण स्पर्श करना संस्कार के रूप में जाना जाता है | दरअसल पैर छूना या चरण स्पर्श करना अपनी कमर दुखाना नहीं है बल्कि इसका संबंद ऊर्जा से है | वैज्ञानिक तर्क के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरो तक लगातार ऊर्जा का संचार होता है | इसे हम कॉस्मिक ऊर्जा कहते है यदि इस तरीके से हम किसी व्यक्ति के पैर छू रहे होते है तो हम उसमे से ऊर्जा ले रहे होते है | सामने वाला  की ऊर्जा हम उसके पैरो से अपने  हाथो के जरिये से हमारे शरीर में लेते है

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