एक बेटा अपने ही पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने आया था लेकिन वे अपने पिता को ये कहते हुए उस वृद्धाश्रम में छोड़ गया की ये मेरे पिता नहीं बल्कि मेरे मिलने वाले है | इन्हे आश्रम में ले जाइये, लेकिन वहा के संचालक ने पहचान लिया की हमें इस आश्रम को चलाते चलाते 21 साल हो गए है | रिश्तो के सम्बन्धो से हम वाकिफ है| यहाँ कई लोग ऐसे ही अपनों को बहाना बनाकर छोड़ जाते है | संचालक ने कहा की तुम इनके बेटे हो फिर भी ये बात स्वीकारने से क्यों मना कर रहे हो बेटे ने कहा की मैंने गुस्से में ये बात कही है मैं ही इनका बेटा हूं | इसके बाद पिता को वो आश्रम में छोड़कर चला गया | बेटे का कहना है की पिता उनके साथ नहीं रहना चाहते है जबकि पिता का कहना है कि बेटा नहीं रखना चाहता है
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शहर के मीठे तालाब के पास वृद्धाश्रम संचालन दिनेश चौधरी ने बताया की बृहस्पतिवार को कलेक्टर कार्यालय से निर्देश प्राप्त हुआ था की 70 वर्षीय बुजुर्ग रमेश सोलंकी को आश्रम में रखना है जिसको लेकर कलेक्टर कार्यालय पंहुचा | वह बुजुर्ग के साथ कुछ लोग खड़े थे | जिसमे विष्णु नामक युवक ने कहा की बुजुर्ग को अंदर आश्रम में ले जाइये विष्णु ने कहा की ये हमारे मिलने वाले है | इन्हे आश्रम में रखना है संचालक चौधरी ने बताया की परिस्तिथि देखकर और हालत देखकर वो व्यक्ति बुजुर्ग का पुत्र लग रहा था जिस पर मैंने उनसे कहा की तुम तो बेटे हो फिर भी बुजुर्ग को मिलने वाला बताकर छोड़कर जा रहे हो | मैंने युवक से कहा की में 21 सालो से आश्रम को संचालित कर रहा हुआ | की बच्चे अपने माता-पिता को अपना रिश्तेदार बताकर छोड़ जाते है चौधरी की बात को सुनकर विष्णु ने कहा की ये मेरे पिता है | चौधरी ने बताया की बुजुर्ग के पैर धोकर सम्मान के साथ उन्हें आश्रम में प्रवेश करवाया चौधरी ने बताया कि दो साल पहले नागदा में हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें बुजुर्ग रमेश की पत्नी की भी मौत हो गई थी। जिसके बाद वे खुद को ज्यादा अकेला महसूस कर रहे थे। हमने बुजुर्ग को सम्मान के साथ जगह दी। वहीं आश्रम में सम्मान मिलने पर बुजुर्ग की आंखें नम हो गई।
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