भारतीय राजनिति में ऐसे कई धुरंधर हैं, जिनके पास बेशुमार दौलत हैं लेकिन आज इस लेख में हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात करेंगे. जिसकी संपत्ति जानकर होश उड़ जाएगे. ये नेता और कोई नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने चुनावी हलफनामें में अपनी संपत्ति 2 अरब बताई थी लेकिन कोर्ट में जिन संपत्तियों को लेकर मसला चल रहा हैं, उसकी कीमत लगभग 40 हजार करोड़ हैं.

बताया जाता हैं कि सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया के दौर से ही शुरू हो गया था. मामला राजमाता की 2 वसीयतों पर अटका है. राजमाता ने अपनी वसीयतों में अपनी संपत्ति से बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को फूटी कोडी तक नहीं दी थी. जायदाद का एक हिस्सा उन्होंने अपनी तीन बेटियों- उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे को दे दिया था. जब तक माधवराव सिंधिया जिंदा थे तब तक वह अदालत में केस लड़ते रहे हैं और अब यही केस ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी 3 भुआओं के बीच चल रहा हैं.

साल 1984 में बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसला सुनाते हुए सिंधिया परिवार की सारी संपत्तियां विजयाराजे और उनके इकलौते बेटे माधवराव के बीच आधी-आधी बांटी गई थीं. ऐसा राजमाता की ओर से दर्ज एक याचिका के बाद किया गया था. इसका कारण यह था कि राजमाता के पति जीवाजी राव सिंधिया मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ गए थे. राजमाता और माधवराव के बीच संपत्तियों को लेकर मतभेद पैदा हुए तो कोर्ट ने इसका यह हल निकाला गया था.

वर्ष 1990 में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर कोर्ट में अर्जी दी की वह सिंधिया परिवार के अकेले वारिस हैं. यही मामला अब कोर्ट में चल रहा हैं. राजमाता की तीनों बेटियां माधवराव के इस दावे के खिलाफ हैं. ज्योतिरादित्य की 3 भुआ राजमाता की 1985 की एक वसीयत का हवाला देती हैं. इस वसीहत के अनुसार राजमाता ने बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को कुछ भी नहीं दिया था.

इस मामलें में एक मोड़ तब आया जब साल 2001 में राजमाता के पक्षकार वकीलों ने एक दूसरी वसीयत भी अदालत में दिखाई. जिसमे राजमाता ने अपनी पूरी संपत्ति तीनों बेटियों के नाम की थी. हालाँकि अब अदालतें अभी इन वसीयतों की वैधता की जांच बेहद बारीकियों से कर रही हैं. हालाँकि फिलहाल ये माना जा रहा हैं कि आने वालों समय में इस केस का निपटना मुश्किल हैं. क्योंकि एक तरफ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया अपनी संपत्ति छोड़ने को तैयार नहीं हैं जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पीछे हटने के मूड में नहीं हैं.