सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है और पुलिस को उनके काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सेक्स वर्कर्स के लिए कुछ सिफारिशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं. सेक्स वर्कर्स की परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, उसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातें
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सेक्स वर्कर्स भी कानून के तहत गरिमा और सुरक्षा के हकदार हैं. कोर्ट ने कहा कि जब यह साफ हो जाए कि सेक्स वर्कर व्यस्क है और सहमति से यह काम कर रहा है तो पुलिस को उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई से बचना चाहिए. जब भी कोई सेक्स वर्कर्स पुलिस में कोई शिकायत करते हैं तो पुलिस को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और कानून के अनुसार काम करना चाहिए.
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया है. लाइव लॉ की खबर के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब भी किसी वेश्यालय पर छापा मारा जाता है तो संबंधित सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या दंडित, परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि स्वैच्छिक यौन कार्य अवैध नहीं है सिर्फ वेश्यालय चलाना अवैध है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सेक्स वर्कर्स के लिए कोई नीति या योजना बनाते हुए समय उनके प्रतिनिधियों को भी शामिल करना चाहिए, जिससे उनके भी विचार लेकर कोई फैसला किया जा सके.
कोर्ट ने कहा कि किसी सेक्स वर्कर को सिर्फ इस आधार पर उसके बच्चे से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि वह देह व्यापार में है. साथ ही यदि कोई नाबालिग वेश्यालय में सेक्स वर्कर्स के साथ रह रहा है तो ये नहीं माना जाना चाहिए कि उसे तस्करी कर लाया गया है, वह सेक्स वर्कर का बेटा/बेटी भी हो सकता है और यदि परीक्षण में यह साबित हो जाता है तो उसे जबरन अलग नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने इन सिफारिशों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 27 जुलाई तक का समय दिया गया है.