लखनऊ: समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे सामूहिक दुराचार मामले में बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगरेप रेप और पॉक्सो एक्ट में दोषी करार दिया है. एमपी-एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन अभियुक्तों को मामले में दोषी करार दिया है.
कब -कब क्या हुआ
- वर्ष 2013-महिला की मुलाकात चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के दौरान पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से हुई।
- वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक पीड़िता के साथ आरोपियों द्वारा सामूहिक दुराचार करने का आरोप।
- 17 अक्टूबर 2016 को पीड़िता द्वारा गायत्री प्रजापति सहित सभी आरोपियों के विरुद्ध सामूहिक दुष्कर्म करने की शिकायत डीजीपी से की गई
- 16 फरवरी 2017 को उच्चतम न्यायालय ने पीड़िता की विशेष अनुमति याचिका पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश प्रदेश सरकार एवं पुलिस को दिया।
- 18 जुलाई 2017 को आरोपी गायत्री प्रजापति ,विकास वर्मा आशीष शुक्ला एवं अशोक तिवारी के विरुद्ध धारा 376डी, 354ए(1), 509, 504, 506 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 5जी/ धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम( पाक्सो एक्ट) का आरोप तय हुआ। साथ ही अभियुक्त अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल एवं रूपेश्वर उर्फ रूपेश के विरुद्ध धारा 176 डी, 354ए(1), 509, 504 एवं 506 भारतीय दंड संहिता का आरोप विरचित किया गया।
- विचारण के दौरान मुकदमे में 17 अभियोजन साक्षी एवं 11 प्रपत्रीय साक्ष्य अभियोजन की ओर से प्रस्तुत किए गए।
- दो नवंबर 2021 को सभी आरोपियों का बयान कोर्ट ने दर्ज किया
- आठ नवंबर 2021 को अदालत द्वारा अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष की ओर से अंतिम बहस सुनने के उपरांत 10 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया।
- 10 नवंबर 2021 को पूर्व मंत्री गायत्री , अशोक तिवारी एवं आशीष दोषी करार हुये। जबकि पिंटू, विकास वर्मा चंद्रपाल एवं रूपेश को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त
पीड़िता ने बार-बार बदले थे बयान, डेढ़ वर्ष से घर पर नहीं: पीडि़ता ने सामूहिक दुष्कर्म के दोषी ठहराए गए पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को लेकर बार-बार बयान बदले थे। इसी क्रम में उसने वर्ष 2019 में गायत्री को क्लीनचिट भी दे दी थी। साथ ही हमीरपुर के एक शख्स को आरोपित ठहराते हुए कहा था कि उसके बहकावे में आकर यह कदम उठाया था। पीडि़ता के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एक अन्य मामले में समन जारी किया था। तब से पीडि़ता घर छोड़ कर चली गई थी। वहीं, बुधवार को जब पीडि़ता से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल फोन नंबर भी स्विच आफ मिला।
पीड़िता पर काफी दबाव डाला गया
गायत्री को बचाने के लिए पीड़िता पर काफी दबाव डाला गया. यहां तक कि उसे रुपया व प्लॉट भी दिए गए. मामले में नया मोड़ तब आया जब रेप पीड़िता ने अपने बयान बदल दिए और गायत्री के पक्ष में बयान दे दिया. मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भारी पड़ा और कोर्ट ने उसके खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को पीड़िता के अलावा राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि पुलिस इस बात की पड़ताल करें कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान अपने बयान बदले.
एफआईआर में गायत्री के अलावा आशीष शुक्ला, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह पिंटू, चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर उर्फ रुपेश के नाम शामिल थे. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने फैसला सुनाते हुए गायत्री प्रसाद प्रजापति आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को गैंगरेप और पोक्सो एक्ट में दोषी पाया है जबकि बाकी चारों को कोर्ट ने बरी कर दिया. कानून के जानकारों का कहना है कि गायत्री और उसके साथ दो अन्य दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास या मृत्युदंड हो सकता है.