भारत में रूस के उप-राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा है कि एस-400 मिसाइल प्रणाली सौदा भारत की ‘संप्रभुता’ की ताकत का प्रतीक है. रूसी अधिकारी ने इस बात से इनकार किया है कि पिछले सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाने वाले सौदे या अन्य प्रमुख समझौते अमेरिकी प्रतिबंधों पर चिंताओं के कारण बाकी रह गए थे.

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बाबुश्किन ने रक्षा सौदे पर भारत की तारीफ करते हुए कहा, ‘एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का फैसला इस बात का एक बहुत मजबूत उदाहरण है कि हमारी रक्षा और रणनीतिक साझेदारी कितनी उन्नत है और राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को चुनने के लिए भारतीय संप्रभुता कितनी मजबूत है.’ उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि रूस से पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम में से पहली की डिलीवरी इस महीने पूरी होने की उम्मीद है.

एक दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई और दोनों पक्षों ने 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. दोनों पक्षों की तरफ से 99-सूत्रीय संयुक्त बयान जारी किया. लेकिन इस बैठक के दौरान रिसीप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) और नौसेनाओं के बीच सहयोग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन ये बाकी ही रह गया.

इस बात को लेकर ऐसी अटकलें लगाईं जाने लगीं कि भारत सरकार ने यह फैसला लिया है कि लड़ाकू जेट और कम दूरी की मिसाइलों के सौदों को तब तक रोका जाएगा जब तक कि यह स्पष्ट न हो जाए कि अमेरिका S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी पर प्रतिबंध लगाएगा या नहीं.

इन अटकलों को खारिज करते हुए रोमन बाबुश्किन ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ से एक इंटरव्यू में कहा, ‘यह सम्मेलन बहुत ही कम समय में बुलाया गया और यही वजह है कि कुछ विशेष समझौते पूरे नहीं किए जा सके.’ बाबुश्किन ने साथ ही यह भी कहा कि नौसेना समझौता, RELOS और बाकी सभी समझौते अगले साल तक पूरे हो जाएंगे.

बाबुश्किन ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, बहुपक्षीय मुद्दों पर भारत-रूस सहयोग बढ़ा है. उन्होंने भारत द्वारा इस साल गुटनिरपेक्ष बैठक (NAM) में एक पर्यवेक्षक देश बनने के लिए रूस का समर्थन करने और भारत को शंघाई सहयोग संगठन (SCO)में रूसी समर्थन का भी जिक्र किया.

रूसी राजनयिक ने भारत-रूस परमाणु सहयोग पर भी बात की. उन्होंने कहा कि छह रिएक्टरों वाली कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना या तो चालू है, निर्माणाधीन है, या शुरू होने वाली है, और रूसी सरकार दूसरी साइट पर छह वीवीईआर-1200 रिएक्टरों की एक नई परियोजना के लिए भारत सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है.

रोमन बाबुश्किन ने अमेरिका के काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA)को ‘गैरकानूनी प्रतिस्पर्धा के लिए अवैध उपकरण’ करार देते हुए कहा कि ये समझौता अमेरिका को लक्ष्य बनाकर नहीं किया गया है. आपको बता दें कि CAATSA के तहत अमेरिका रूस से रक्षा सौदा करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है. ऐसी आशंकाएं थीं कि अमेरिका इसी कानून के तहत भारत पर भी प्रतिबंध लगा सकता है लेकिन अभी तक अमेरिका की तरफ से प्रतिबंधों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.

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