आज का दिन भारत की वीरता का परिचायक है. क्योंकि आज से ठीक 50 साल पहले भारत के वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम के दम पर पाकिस्तान को धूल चटाई थी. बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के बाद आज के ही दिन बांग्लादेश अस्तित्व में आया था.

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1971 में देश के शूरवीरों ने पाकिस्तानी सेना को हराकर विजय पताका फहराई थी.

ऐसे में इस खास दिन जहां एक तरफ दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल में कार्यक्रम आयोजित किया गया, वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस मौके पर बांग्लादेश में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं. जहां वो शुक्रवार को बांग्लादेश में देवी काली के रमना काली मंदिर नामक एक पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन करेंगे.

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, जो बांग्लादेश के विजय दिवस समारोह का हिस्सा बनने के लिए ढाका में हैं, शुक्रवार को देवी काली के रमना काली मंदिर नामक एक पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन करेंगे. ऐसे में अब सवाल उठता है कि यह मंदिर क्यों और बांग्लादेश के लिए इसका क्या महत्व है?

एक तरफ जहां भारत और बांग्लादेश दोनों पाकिस्तान पर 1971 की जीत का जश्न मनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ रमना काली मंदिर पाकिस्तान के सशस्त्र बलों द्वारा अल्पसंख्यकों की भयावहता और यातना की याद दिलाता है.

1970 के पाकिस्तान चुनाव में अवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान का उदय हुआ. उनका सीधा मुकाबला पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो से था. जैसे ही अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में संसदीय चुनाव जीता, भुट्टो ने विपक्ष को कुचलने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने मुजीब के समर्थकों को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी सेना भेजी.

27 मार्च की वह तारीख

ऐसे में रमना काली मंदिर ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा पहचाने जाने और उन पर हमला करने वाले स्थलों में से एक था. 27 मार्च, 1971 को सेना ने रात में मंदिर परिसर पर हमला किया, जिसमें मां आनंदमयी आश्रम भी था. हमले में अंदर मौजूद सभी लोगों की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में महिलाओं और बच्चों सहित सौ से अधिक लोग मारे गए और मंदिर मलबे में बदल गया.

लेकिन अब साल 2021 में, एक बार फिर यह मंदिर भारतीय राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन के साथ साथ भक्तों के स्वागत के लिए भी तैयार है. इस मंदिर का उदय पाकिस्तान द्वारा धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे आतंक के खिलाफ एकजुट लड़ाई का प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है.

13 दिन चले युद्ध में घुटनों पर आ गया था पाकिस्तान

बता दें कि 3 दिसंबर 1971 को युद्ध की शुरुआत हुई थी. लेकिन 13 दिन में ही भारत के रणबांकुरों के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे. महज 13 दिन में इंडियन आर्मी-नेवी और एयरफोर्स ने पाकिस्तान की कमर तोड़कर रख दी. जनरल सैम मानेकशॉ की अगुवाई वाली इंडियन आर्मी के सामने 16 दिसंबर को पाकिस्तान आर्मी के 93,000 सैनिकों ने ढाका में सरेंडर कर दिया. पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ.

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