नेशनल डेस्क: अमेरिकी की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में बॉयोस्टैटिसटिक्स की प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी ने ऑमिक्रॉन की लहर को लेकर एक स्टडी का हवाला देते हुए कहा है कि जिन लोगों को वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है उनसे 50 फीसदी लोगों के संक्रमित होने की संभावना है। वह कहती हैं कि अगर हम दक्षिण अफ्रीका की गंभीरता के आधार पर कहें तो कोरोना की दूसरी लहर में जितने लोगों की मौत हुई थी, उसके 40 फीसदी मौत की आशंका ओमिक्रॉन से है। वह पिछले दो सालों से भारत में कोविड-19 महामारी को देख समझ रही हैं।

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ट्रैवल बैन से कोविड को रोकना मुश्किल
भ्रमर मुखर्जी आजकल भारत में हैं और पश्चिम बंगाल के बीरभूम में शांतिनिकेतन के पास रुपुर में अपने माता-पिता के फार्म हाउस में आई हुई हैं। एक मीडिया साक्षात्कार में उन्होंने ओमिक्रॉन वेरिएंट की लहर और कोविड महामारी में भारत के डाटा पर बात की है। उन्होंने कहा है कि भारत कोविड की तीसरी लहर में समा चुका है। मुखर्जी ने भारत में ओमिक्रॉन की लहर को लेकर कहा कि हमारी स्टडी का आकलन है कि भारत में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि वैकसीनेशन के कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं करना पड़ेगा। भारत के साथ अच्छी यह है कि बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है और बड़ी संख्या में लोग पहले ही संक्रमित भी हो चुके हैं। भारत के संदर्भ में वह कहती है कि अगर मैं सरकार में होती तो दिसंबर की शुरुआत में ही जब ओमिक्रॉन की पहचान हुई थी, उसी वक्त बूस्टर डोज के साथ मास्क को लेकर सख्ती से नियम बनाती। हमें पता है कि हम केवल ट्रैवेल बैन से कोविड को नहीं रोक सकते हैं।

ओमिक्रॉन से भी तेजी से फैल रहा है आईएचयू वेरिएंट
फ्रांस में नए आईएचयू वेरिएंट अब तक एक दर्जन मामले ही सामने आए हैं। किसी अन्य देश में नए वेरिएंट के किसी भी नए मामले का पता नहीं लगा है। यह स्पष्ट नहीं है कि बी.1.640.2 अधिक मजबूत है या कोरोना वायरस के अन्य ज्ञात उपभेदों की तुलना में तेजी से फैलता है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अभी तक इस आईएचयू वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट, वेरिएंट ऑफ कंसर्न या यहां तक कि जांच के तहत वैरिएंट में भी नहीं माना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ओमिक्रॉन जो खतरनाक दर से फैल रहा है, आईएचयू की तुलना में अधिक चिंता का विषय है। मेड्रक्सिव में प्रकाशित एक प्री-प्रिंट पेपर में कहा गया है कि आईएचयू वेरिएंट की वायरोलॉजिकल, महामारी विज्ञान या नैदानिक विशेषताओं पर अटकलें लगाना अभी जल्दबाजी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कोरोना का आईएचयू वेरिएंट अभी तक सिर्फ फ्रांस में मिला है और यह किसी अन्य देश में नहीं पाया गया है। यह पहली बार नवंबर के मध्य में खोजा गया था, जो कि अफ्रीका में कैमरून जाने वाले यात्री से जुड़ा हुआ है।

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