समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की रविवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई।

(Mulayam Singh Yadav)

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की रविवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उनकी  खराब सेहत के चलते उन्हें 22 अगस्त को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं। जहां डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया डॉक्टर्स की टीम द्वारा मुलायम सिंह यादव की सेहत का ख्याल रखा जा रहा है वही मुलायम सिंह यादव की तबियत की जानकरी मिलते है उनके सुबह चिंतको का उसके स्वास्थ की जानकारी लेने का ताता लग गया हर कोई उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करने लगा समाजबादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व् मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे अखिलेश यादव को बड़े बड़े नेताओ के फ़ोन आना शुरू हो गए उन नेताओ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और तमाम नेताओ के फ़ोन आये और यह जानकारी उन्ही नेताओ ने अपने अपने ट्वीटर अकाउंट लोगो तक पहुंचेअब यह तो थी मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ और उनके सुबह चिंतको की बात लेकिन आज हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपकी बातएंगे की कोण थे मुलायम सिंह यादव कैसे उन्होंने राजनीती में कदम रखा और किस प्रकार वह उत्तर प्रदेश के इतने बड़े नेता के रूप में उभर कर सामने आये

मुलायम सिंह यादव कौन है

वर्ष था 1939 और तारीक थी 22 नवम्बर जब इटावा के सैफई गांव में रहने वाले सुधर सिंह के घर में एक बेटे ने जन्म लिया जिनका नाम मुलायम सिंह यादव रखा गया मुलायम सिंह यादव की माता का नाम मूर्ति देवी था शुरुबाती दिनों में मुलायम सिंह यादव यादव को राजनीती में बिलकुल रूचि नहीं थी मुलायम सिंह यादव को पहलवानी का बहुत शोक था और वह पहलवान बनना चाहते चाहते थेMulayam Singh Yadav
मुलायम सिंह यादव की शिक्षा की बात करे तो उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. और जैन इन्टर कालेज, करहल (मैनपुरी) से बी. टी.की डिग्री प्राप्त की थी।इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया अब बात करते है उनके राजनीतिक करियर की शुरुबात कैसे हुई वर्ष 1960 अपने राजनितिक गुरु नत्थूसिंह के सहयोग से मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में कदम रखा और अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के बाद मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीते, और विधायक बने
विधायक बनने के बाद उन्होंने अपने अध्यापक पद से इस्तीफा दे दिया वर्ष 1974 मुलायम सिंह यादव प्रतिनिहित विधायक समिति के सदस्य बने वर्ष 1977 में वह पहली बार मंत्री बने।1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और इसके बाद फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल में अध्यक्ष चुने गए और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी जी ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ पर वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव दलितों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दों को उठाते रहे और आज भी यह वर्ग उनका बहुत आधार हैं, जहाँ उन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हिन्दू कट्टपंथी संगठनो के उनके मुखर विरोध ने मुलायम सिंह को मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रिय बना दिया। 1992 में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर बँट गई और मुलायम सिंह को राज्य के मुस्लिमों का समर्थन हासिल हुआ।और आज भी समाजबादी पार्टी को मुस्लिम वोट लगभग शतप्रतिशत मिलता है अल्पसंख्यकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए कहीं-कहीं उन पर “मौलाना मुलायम” का ठप्पा भी लगाया गया।
1989 में जब उत्तर प्रदेश सरकार का गठन होने वाला था, तो उस समय मुख्यमंत्री पद के दो उम्मीदवार थे – मुलायम सिंह और अजित सिंह। मुलायम सिंह जनाधार वाले नेता थे, जबकि अजित सिंह अमेरिका से लौटे थे।भारत के आठवे व् पूर्व प्रधान मंत्री रहे विश्व नाथ सिंह हर हाल में अजित सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। लेकिन मुलायम सिंह को ये मंजूर नहीं था लेकिन मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए गुजरात के समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल को लखनऊ भेजा दिया गया। वे उस समय उत्तर प्रदेश के जनता दल प्रभारी थे।
वी. पी. सिंह का दबाव उनके ऊपर था कि अजित को फाइनल करें। यहाँ मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्त राजनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन किया। चिमनभाई पटेल ने लखनऊ से लौटते ही मुलायम सिंह के नाम पर ठप्पा लगा दिया।1993 में मुलायम सिंह यादव ने ‘बहुजन समाज पार्टी’ के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि यह मोर्चा जीता नहीं, लेकिन ‘भारतीय जनता पार्टी’ भी सरकार बनाने से चूक गई।
मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और जनता दल दोनों का साथ लिया और फिर मुख्यमंत्री बन गए। जून 1995 तक वे मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया।मुलायम सिंह यादव तीसरी बार 2003 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और विधायक बनने के लिए उन्होंने 2004 की जनवरी में गुन्नौर सीट से चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्होंने रिकॉर्ड बहुमत से विजय प्राप्त की थी।कुल डाले गए मतों में से 92 प्रतिशत मत उन्हें प्राप्त हुए थे, जो आज तक विधानसभा चुनाव का एक शानदार रिकॉर्ड है।1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे।यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। 2004: चौथी बार 14वीं लोकसभा में सांसद चुनकर गए वर्ष 2007 यूपी में बसपा से करारी हार का सामना करना पड़ा वर्ष 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए पांचवीं बार चुने गए 2009 स्टैंडिंग कमेटी ऑन एनर्जी के चेयरमैन बने वर्ष 2014 उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ से सांसद बने2014 स्टैंडिंग कमेटी ऑन लेबर के सदस्य बने 2015 जनरल पर्पज कमेटी के सदस्य बने और वर्तमान में वह मैनपुरी लोकसभ सीट से सांसद है लेकिन मुलयम सिंह यादव का एक सपना था की वह प्रधान मंत्री बनना चाहते थे लेकिन बार बार स्वास्थ ख़राब होने के चलते और उम्रदराज होने के कारण शायद उनका ये सपना पूरा न हो पाए लेकिन हम सभी लोग यही कामना कटे है की वह जल्द से जल्द सही होकर अपने घर बापस आ जाये