नेता किसी के सगे नहीं होते. ये तो हम जानते हैं. मगर नेताओं के सगे ख़ुद उसके सगे नहीं होते, ये दिव्य ज्ञान गुजरात में मालूम पड़ा. दरअसल, यहां वीपी जिले के छरवाला गांव में एक नेता जी के साथ विभीषण कांड हो गया.

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राज्य में चल रहे पंचायत चुनाव में संतोषभाई नाम के एक नेता जी चुनावी माहौल में एकदम झूमे पड़े थे. चुनावी प्रचार में पूरा गांव नापे डाल रहे थे. अम्मा-बहनी से लेकर चचा-ताऊ का पैर छू-छूकर राजनीति में अपना पैर मजबूत करने का सपना पिरो रहे थे.

मगर जब इलेक्शन का रिज़ल्ट आया, तो राजनीति की ज़मीन तो छोड़िए, ख़ुद उनके घर की ही छत उनके सिर पर ढम्म से  आ गिरी. मालूम पड़ा कि नेता को जी महज़ एक वोट प्राप्त हुआ है. वो भी ख़ुद उनका.

हालांकि, जीत-हार तो लगी रहती है, मगर नेता जी का कलेजा फुंकने वाला कांड तो ये था कि उनके परिवार में ही 12 सदस्य हैं. मतलब गांव वाले तो छोड़िए, ख़ुद उनके परिवार ने उन्हें सरपंची के क़ाबिल नहीं समझा. ये जानकर बेचारे वोटों की गिनती के दौरान काउंटिंग सेंटर पर ही भावुक हो गए. कहनेलगे, गांव वालों ने वोट नहीं दिया, कोई बात नहीं. मगर बताइए परिवार वालों ने भी वोट नहीं दिया.

अब क्या कीजिएगा संतोषभाई. अपने नाम के मुताबिक संतोष कीजिए.

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