बसंत पंचमी को हम बसंत पंचमी तथा श्री पंचमी भी कहते है | और इसे वागेश्वरी जयंती के रूप में भी मनाते है | हमारे हिन्दू समाज में ऐसी मान्यता है कि माघ माह की शुल्क पंचमी की तिथि को माँ सरस्वती ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थी इसलिए तभी से बसंत पंचमी मनाई जाती है |
इस पोस्ट को अच्छे से पढ़ने के लिए हमारी एंड्राइड ऐप का इस्तेमाल करें ऐप डाउनलोड करें
Know why Basant Panchami is celebrated after all
अबूझ मुहूर्त का पर्व और देवी सरस्वती की विशेष पूजा का त्यौहार बसंत पंचमी को मनाया जाता है | हमारे हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है | बसंत पंचमी के दिन शिक्षा ,वाणी , ज्ञान तथा कला की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है | बसंत पंचमी के पर्व को श्री पंचमी और वागेश्वरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है | ऐसी मान्यता है की इस दिन माँ देवी सरस्वती प्रकट हुई थी | इसी कारण बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा – आराधना की जाती है | इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है इस दिन विद्या आरम्भ करने से ज्ञान में वृद्धि होती है | इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा कहा जाता है इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहर्त के संपन्न किया जा सकता है |
बसंत पंचमी का महत्व :-
1. बसंत पंचमी को मधुमास के नाम से भी जाना जाता है | इसके आरभ होने के साथ – साथ सर्दी का समापन शुरू हो जाता है | बसंत ऋतु के शुरू होते ही इस मौसम में सभी पेड़ अपनी पुरानी पत्तियों को त्यागकर नई पत्तियों व फूलों को जन्म देते है |
2. बसंत पंचमी की तिथि पर विद्या और ज्ञान अधिष्ठाती देवी माँ सरस्वती देवी का जन्म हुआ था | इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है |
3. बसंत पंचमी तिथि के दिन हिंदी साहित्य श्री अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का जन्म हुआ था | इनका जन्म 28 फरवरी सन 1899 को हुआ था | इस वजह से भी बसंत पंचमी का विशेष महत्व है |
4. बसंत पंचमी का त्यौहार इसलिए भी मनाया जाता है | क्यूंकि इस दिन महान योद्धा पृथ्वी राज चौहान की भी याद दिलाता है उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को सोलह बार पराजियेट किया था | और उन्होंने हर बार उदारता दिखाते हुए उन्हें जीवित छोड़ दिया था |
5. बसंत पंचमी का त्यौहार भारत देश में अलग अलग तरीके से बनाया जाता है | पंजाब में सरसो के पीले खेत को झूमते और पीले रंग की पतंगों को उड़ाते हुए देखा जा सकता है | पश्चिम बंगाल में ढाक की थापो के बीच माता सरस्वती का पूजन किया जाता है | तो वही छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रसिद्ध सिख धार्मिक स्थल गुरु-का-लाहौर में भव्य मेला का आयोजित किया जाता है | मान जाता है इस दिन गुरु गोविन्द सिंह का जन्म हुआ था |
इस पोस्ट को अच्छे से पढ़ने के लिए हमारी एंड्राइड ऐप का इस्तेमाल करें ऐप डाउनलोड करें