इस समय यूपी में चुनावी गलियारों में एक ही बात गूंज रही है की किसकी इस बार किसकी होगी सत्ता और उसी सत्ता को पाने के चक्कर में कई नेता अपने अपने दलों से इस्तीफे दिए जा रहे है | लेकिन भाजपा में मची भगदड़ ने सभी को चौका दिया है | इन इस्तीफो के बाद यूपी के सियासी दंगल में आखिर किस पार्टी के सरे समीकरण बैठेंगे और वो सत्ता के शिखर पर पहुंचेंगे , आगे बड़ा सवाल ये है की इस बीच एक दिलचस्प चर्चा हो रही है की चुनाव के बाद कोण होगा यूपी का मुख्यमंत्री क्या चुनाव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दरकिनार कर किसी और को भी आगे किया जा सकता है ? हालत ये भी बन सकते है अगर प्रदेश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलती है तो योगी के बजाय केशव मौर्य पर भी दांव खेला जा सकता है | साथ ही ये बात भी चर्चा मे आ रही है की इस बार यूपी को मुख्यमंत्री विधानसभा से ही मिलेगा
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फ़िलहाल आपको बता दे भाजपा की तरफ से योगी आदित्यनाथ का चेहरा व दावेदार है और वे गोरखपुर शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे है | वही समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव दावेदार है और वे मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव मैदान में है | बड़ा सवाल ये है की इन दोनों के अलावा कोई और भी मुख्यमंत्री बन सकता है क्या ? अगर सपा पार्टी जीतती है तो तब तो कोई अगर मगर नहीं है | अगर अखिलेश यादव हार भी जाते है तो और पार्टी को बहुमत मिलती है तो मुख्यमंत्री तो अखिलेश यादव ही बनेंगे | जैसा की हम आपको बता दे की ऐसा ही उधारण हमने पश्चिम बंगाल में देखा था | जहा चुनाव में नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन TMC को प्रचंड बहुमत मिला था और अंत में ममता बनर्जी सीएम बनी थी |
यदि दूसरी तरफ बीजेपी जीतती है तो सीएम बदल भी सकता है ?ऐसा इसलिए क्यूंकि पिछली बार अघोषित रूप से केशव मौर्य के नाम पर चुनाव लड़ा था और परिणाम घोषित होने के बाद मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा की थी | लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बने | इस बार भी ऐसा ही उलटफेर संभव है | क्यूंकि भाजपा के इस बार भी अघोषित दावेदार केशव मौर्य है | और इस बार भी वो प्रयागराज की सिराथु से लड़ रहे है | वही तीसरी संभावना त्रिकुंश विधानसभा बनने की है | तब भी इन दोनों में से यदि जो भी सहयोगी बनेगा वो केशव प्रसाद मौर्या के नाम पर ही मानेगे| इनके अलावा कोई तीसरा व्यक्ति सामने आ सकता है,जो हो सकता है विधानसभा का सदस्य न हो क्यूंकि राजनीती में कुछ भी संभव हो सकता है
वही चर्चा ये भी है कि इस बार उम्मीद की जाये की उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री विधानसभा का सदस्य ही होगा | उत्तर प्रदेश में आमतौर पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकते है | अभी मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब सपत दिलाई गयी थी तब वे लोकसभा के सांसद थे | विधान परिषद के सदस्य बनकर सीएम योगी ने पांच साल सरकार चलायी | उनसे पहले अखिलेश यादव ने भी लोकसभा सांसद रहते ही मुख्यमंत्री पद की शपत ली थी | अखिलेश से पहले मायावती भी जब मुख्यमंत्री बनी तब वे विधायक नहीं थी | पिछले करीब दो दशकों के बाद ये पहला मौका है कि मुख्यमंत्री के सारे संभावित दावेदार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे है
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