जो इस आया है उसे जाना ही पड़ेगा यह प्रकृति का नियम है। जो इस धरती पर जिसने जन्म लिया है उसकी एक ना एक दिन मृत्यु निश्चत है। मृत्यु के बाद मृत शरीर के अंतिम संस्कार करने का रिवाज हर जगह है। हर धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार की अलग-अलग प्रथाएं है। कुछ शरीर को दफनाते है तो कुछ जलाते हैं।
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अंतिम संस्कार की है ये 8 प्रथाएं:
# स्काई बरियल: अंतिम संस्कार की ये प्रथा आज भी चलती आ रही है, जिसका पालन तिब्बत, किंघई और इनर मंगोलिया के इलाकों में होता है। इसमें मरे हुए इंसान के शरीर के छोटे-छोटे टुकड़ों को काटकर पहाड़ों पर रख दिया जाता है।
# फामाडिहाना: यह प्रथा मैडागास्कर के मलागासी लोगों की होती है। इसमें मृत शरीर को कब्र से निकालकर साफ कपड़े पहनाकर उसके आस-पास डांस करते हैं। फिर गांव का एक चक्कर लगवाकर उसे फिर दफना देते हैं।
# गला घोंटना: इस प्रथा में मृत इंसान के किसी करीबी की गला घोंट कर मौत दे दी जाती है। कहा जाता है कि मृतक को दूसरी दुनिया में अकेला नहीं जाना चाहिए और उसके साथ उसके किसी करीबी को भी उसके साथ ही भेजना चाहिए जिससे मृत्यु का दुख कम हो जाए।
# लटकते हुए ताबूत: प्राचीन चाइना के राजवंश में मृत लोगों के ताबूतों को पहाड़ की चोटी पर रखा जाता था। उनका मानना था कि निर्जीव इंसान को आकाश के करीब रखने से उसे स्वर्ग नसीब होता है।
# गिद्धों खिलाना: पारसी समुदाय की इस प्रथा के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर को नहलाकर पारसियों के धार्मिक स्थान में गिद्धों के लिए छोड़ दिया जाता है। इस प्रथा का महत्व ये है कि मरने के बाद इंसान को उसके मानवीय शरीर को त्याग देना चाहिए।
# नरभक्षिता: पापुआ न्यू गिनी और ब्राजील के कुछ इलाकों में मरने वाले के करीबी रिश्तेदार उसके शरीर को खा लेते थे। वैसे अब यह प्रथा खत्म हो गई है।
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