फ़िरोज़ाबाद : इस जीवन में यदि कोई अटल सत्य है तो वह है मृत्यु जिसे टाला नहीं जा सकता हमारी मृत्यु कब होगी कैसे होगी यह कोई नहीं जानता है लेकिन एक बात जो सब जानते हैं वह यह है कि हम सभी को एक न एक दिन उसी मिट्टी में मिलना है जिसमें हमने जन्म लिया है लेकिन फिरोजाबाद की शिकोहाबाद विधानसभा में आने वाले गाँव जलोपुरा में मरने के बाद वह मिट्टी भी नसीब नहीं होती क्योंकि यहां शवों को जलाने के लिए ना तो पर्याप्त जमीन है और ना ही मिट्टी
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श्मशान भूमि बनी कूड़ा घर
इस गांव में अंत्येष्टि स्थल के नाम पर जो जमीन है वह जमीन श्मशान भूमि कम कूड़ा घर ज्यादा दिखती है आप इन तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि कैसे श्मशान भूमि पर कचरे का ढेर लगा हुआ है और इन्हीं कचरे के ढेर पर ग्रामीणों को मजबूरन अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करना पड़ता है
इसे लेकर जब हमने जलोपुरा के ग्राम प्रधान अवनीश चंद से बात की तो उन्होंने बताया कि श्मशान भूमि के नाम पर ग्राम पंचायत की है जमीन तकरीबन पौने 2 बीघा है लेकिन कमाल की बात तो यह है कि लगभग 2 बीघा की जमीन में 2 फुट भी साफ-सुथरी व समतल जमीन नहीं है जगह जगह पर पेड़ पौधे खड़े हैं और जहां जगह है वहां गड्ढे और कचरे का ढेर जमा है इस संबंध में हमने ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने बताया कि गांव में इसके अलावा कोई दूसरा अंत्येष्टि स्थल नहीं है जिसके पास खेत हैं वह अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार तो खेत में कर देता है लेकिन गांव में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जिनके पास खुद की जमीन नहीं है जिन्हें मजबूरन इसी कचरे के ढेर पर शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ता है.
फ़िरोज़ाबाद शासन कब तक लेगा संज्ञान
अब देखना यह है किस शासन और प्रशासन पर कब तक ध्यान देता है और गांव में मृत शवों को सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने पर ध्यान देगा या नहीं kianews.in
यह तस्वीर सिर्फ गांव जलोपुरा की ही नहीं बल्कि उसके आसपास के और भी गांव जैसे जरौली खुर्द, जरोली कला की भी यही सूरत है और इस जैसे ना जाने कितने गांव और उनमें रहने वाले ना जाने कितने ग्रामीण अपने प्रियजनों के ससम्मान अंतिम संस्कार करने के लिए अंत्येष्टि स्थल के निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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