दुनिया में कई ऐसी डरावनी जगह है जहां जाने से इंसान की रूह तक काँप जाती है। लेकिन आज हम आपको जिस शापित किले  के बारे में बताने जा रहे हैं उसकी कहानी बहुत ही दर्दनाक और डरावनी है। तालबेहट के इस किले में सालों पहले हुई खौफनाक घटना की कहानी आज भी वहां से आती मासूम लड़कियों की चीखें बयां करती हैं।

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आती है लड़कियों के चीखने की आवाज:
सन् 1850 में मर्दन सिंह ललितपुर के बानपुर के राजा थे। वे अक्सर तालबेहट भी आते-जाते रहते थे, इसलिए उन्होंने तालबेहट में एक किले का निर्माण कराया था। इस महल को राजा के पिता प्रहलाद सिंह ने अपना निवास स्थान बना लिया।
बुंदेलखंड का कलंक:
एक ओर तरफ जहां मर्दन सिंह का नाम लोग सम्मान से लेते हैं, वहीं उनके पिता प्रहलाद सिंह को बुंदेलखंड का कलंक मानते हैं। अक्षय तृतीया के दिन प्रह्लाद इस ने एक ऐसा घिनौना काम किया था जिसकी गवाही आज भी किले की दीवारे देती हैं।
ये था रिवाज:
अक्षय तृतीया के दिन उस समय नेग मांगने की रस्म होती थी। इसी रस्म को पूरा करने के लिए तालबेहट राज्य की 7 लड़कियां राजा मर्दन सिंह के इस किले में नेग मांगने गईं थीं। तब राजा के पिता प्रहलाद किले में अकेले थे।
 
लड़िकियों को देखकर बिगड़ी नियत:
लड़कियों की खूबसूरती देखकर उनकी नीयत खराब हो गई और उन्होंने इन सातों को अपनी हवस का शिकार बना लिया। लड़कियां राजशाही महल में बेबस थीं। घटना से आहत लड़कियों ने महल के बुर्ज से कूदकर अपनी जान दे दी थी।
अक्षय तृतीया के दिन होती है लड़कियों की पूजा:
इस शापित किले  के कारण  यहां पिछले 150 सालों से अक्षय तृतीया का त्योहार नहीं मनाया गया है। इस किले के दरवाजे पर 7 लड़कियों की पेटिंग बनी है। हर साल गांव की महिलाएं इन लड़कियों की पूजा करती हैं। यहां के स्थानीय निवासियों के मुताबिक आज भी उन 7 पीडि़त लड़कियों की आत्माओं की चीखें तालबेहट फोर्ट में सुनाई देती हैं।
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