Wednesday, March 12, 2025
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काशीवासियों के लिए अपील: साधु-संतों और अघोरियों की मसान होली, इन गलतियों से बचें

काशी की परंपरा का सम्मान करें
श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के नागा संन्यासी खुशहाल भारती ने कहा कि काशीवासियों को सोशल मीडिया की अफवाहों से प्रभावित होकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। मसान की होली साधु-संतों और अघोरियों के लिए है। काशीवासी इस परंपरा से दूर रहें और बाबा विश्वनाथ से अपने संबंधों का निर्वहन करते हुए उनके विवाह का उत्सव मनाएं। तिलक, तेल, हल्दी, विवाह और गौने की परंपरा निभाएं, जो कई सौ वर्षों से काशी के गृहस्थ परिवारों द्वारा पूर्व महंतों की अगुवाई में निभाई जाती रही है। यही काशी की विशिष्टता और गौरव है, जिसे बनाए रखना हर काशीवासी का दायित्व है।

परंपराओं का मूल स्वरूप बनाए रखें
बुधवार को मणिकर्णिका घाट पर बातचीत के दौरान उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती ने कहा कि काशी की परंपराएं अद्वितीय हैं और उन्हें उनके मूल स्वरूप में ही आगे बढ़ाने की जरूरत है। काशी एकमात्र ऐसी नगरी है जहां बाबा विश्वनाथ अपने गृहस्थ और आदियोगी, दोनों रूपों में पूजित हैं। यहां की शास्त्रीय और लोक परंपराएं भी विश्वभर में अपनी पहचान रखती हैं।

बाबा विश्वनाथ और काशीवासियों का विशेष संबंध
काशीवासियों का बाबा विश्वनाथ से रिश्ता सिर्फ भक्त और भगवान तक सीमित नहीं है। यहां बाबा हर काशीवासी के दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यहां के लोग बिना बाबा के किसी भी काम की कल्पना नहीं करते। इसी के तहत गृहस्थों और संन्यासियों के लिए अलग-अलग होली की परंपराएं हैं।

महाश्मशान की होली में गृहस्थों की भागीदारी वर्जित
खुशहाल भारती ने स्पष्ट किया कि रंगभरी एकादशी के दिन काशीवासी पूर्व महंत के आवास पर गौरी-शंकर और गणेश के साथ होली खेलते हैं। इसके अगले दिन महाश्मशान पर बाबा के साथ साधु-संन्यासियों और अघोरियों द्वारा होली खेली जाती है। गृहस्थों को गलती से भी मसान की होली में शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह दोष का कारण बनता है।

परंपरा के अनुसार ही करें उत्सव
काशीवासियों से आग्रह है कि वे रंगभरी एकादशी पर पूर्व महंत के आवास पर शिव-पार्वती और गणेश के साथ होली मनाएं। इसके बाद परंपरा के अनुसार, बाबा की पालकी महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर तक लेकर जाएं। द्वादशी तिथि को साधु-संन्यासी मसान पर बाबा के साथ होली खेलें। इस परंपरा का पालन ही काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित रखेगा।

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