Tuesday, March 11, 2025
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100 सीटों की स्वीकृति, बांटीं 2067 डिग्रियां… जेएस यूनिवर्सिटी का बड़ा घोटाला, कुलाधिपति गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद स्थित जेएस यूनिवर्सिटी से वर्ष 2022 में 2067 अभ्यर्थियों को बीपीएड की डिग्रियां दी गईं। यह संख्या यूनिवर्सिटी की अधिकृत 100 सीटों से कहीं अधिक थी। यूनिवर्सिटी पर फर्जी डिग्रियां बांटने का आरोप लगने के बाद एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने इस घोटाले की जांच शुरू की। जांच में न केवल फर्जी डिग्रियां, बल्कि बैक डेट की डिग्रियां भी बरामद हुईं। इस मामले में यूनिवर्सिटी से जुड़े 16 दलाल गिरफ्तार किए गए हैं।

फर्जी डिग्रियां और भर्ती परीक्षा घोटाला

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा 2022 में शारीरिक शिक्षा अध्यापक भर्ती परीक्षा के लिए 5390 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 2067 अभ्यर्थियों ने जेएस यूनिवर्सिटी की बीपीएड डिग्रियां जमा की थीं। जांच में पता चला कि यूनिवर्सिटी ने अपनी मान्यता से कई गुना अधिक डिग्रियां जारी की थीं।

कुलपति और अन्य अभियुक्त गिरफ्तार

जयपुर एसओजी के एडिशनल एसपी धर्माराम ने बताया कि जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति सुकेश यादव ने यूनिवर्सिटी का नाम अपने पिता जगदीश सिंह के नाम पर रखा था। इस मामले में अजय भारद्वाज नामक आरोपी भी गिरफ्तार किया गया, जो फर्जी डिग्रियां जारी करने में शामिल था।

इससे पहले अजय भारद्वाज को 2022 में जयपुर के करणी विहार पुलिस थाने में दर्ज मामले में भी गिरफ्तार किया गया था। वह अपने साथियों के साथ मिलकर एकलव्य ट्राइबल यूनिवर्सिटी और अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मेघालय स्थापित करने की योजना बना रहा था।

पेपर माफिया और बैक डेट डिग्रियां

पेपर माफिया भूपेंद्र सारण के घर से भी एसओजी ने फर्जी डिग्रियां बरामद की थीं। इस गैंग ने भर्ती परीक्षाओं में अयोग्य अभ्यर्थियों को मोटी रकम लेकर बैक डेट की डिग्रियां और नौकरियां दिलवाईं।

फर्जी डिग्री पर नौकरी पाने वालों का पर्दाफाश

चयनित अभ्यर्थी सुमन भारी ने आवेदन के समय 2020-22 सत्र में अध्ययनरत होने की जानकारी दी थी। लेकिन चयन के बाद उसने 2017-19 सत्र की फर्जी डिग्री जमा कर नौकरी हासिल की। उसके पति मंदीप कुमार, जो शिक्षा विभाग में यूडीसी के पद पर कार्यरत हैं, ने दलालों के माध्यम से यह डिग्री दिलवाई। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

एसओजी का बड़ा खुलासा

एसओजी की जांच में यह सामने आया कि जेएस यूनिवर्सिटी ने मानकों से अधिक डिग्रियां जारी कर मोटी रकम वसूली। यूनिवर्सिटी पेपर लीक माफियाओं के बीच कुख्यात थी। फिलहाल इस रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है, और जल्द ही पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया जाएगा।

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