दुनिया में आज शायद कोई इंसान होगा जिसे शैम्पू के बारे में नहीं पता होगा. मगर आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि पश्चिमी दुनिया के देशों में मध्यकाल (Medieval Ages) तक बालों को शैम्पू करने का Concept ही नहीं था.
क्या आप जानते हैं कि शैंपू करने का आविष्कार सबसे पहले भारत में हुआ था?
शैम्पू शब्द दरअसल हिंदी शब्द ‘चंपू‘ से बना है. चंपू का अर्थ होता ‘मालिश करना या दबाना’. भारत में शैम्पू का उपयोग 1500 ईस्वी पूर्व से होता आ रहा है. इसके लिए उबला हुआ रीठा, आंवला, शिकाकाई और बालों के अनुकूल अन्य जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता था.
पश्चमी दुनिया में प्रवेश
अगर आज पूरी दुनिया शैम्पू के बारे में जानती हैं तो उसका श्रेय जाता है एक हिंदुस्तानी को- पटना के शेख़ दीन मोहम्म्द को.
शेख़ दीन मोहम्म्द का जन्म 1759 में पटना में हुआ था. वो नाई समुदाय के एक परिवार से आते थे. वो हर्बल औषधि और साबुन बनाने की तकनीक सीखते हुए बड़े हुए और चंपी देने की कला भी में भी महारत पा ली.
1800s की शुरुआत में वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ इंग्लैंड चले गए. इंग्लैंड के ब्राइटन उन्होंने एक स्पा खोला और इसे नाम दिया- मोहम्मद बाथ. यहां पर वो लोगों के बालों को शैम्पू से धोते थे और चंपी देते थे.
उनकी चंपी जल्द ही मशहूर हो गयी. आगे चलकर उन्हें किंग जॉर्ज IV और किंग विलियम IV का निजी ‘शैम्पू सर्जन’ बना दिया गया.
उनकी लोकप्रियता इतनी दूर थी कि अस्पताल उनके पास मरीजों को रेफ़र कर रहे थे, जिससे उन्हें डॉ. ब्राइटन भी कहा जाने लगा. उन्होंने ‘Shampooing’ नाम से एक क़िताब भी प्रकाशित की.
1900s के बाद के दशकों में शैम्पू का अर्थ बालों की मालिश से बदलकर बालों को साफ़ करने वाले पदार्थ हो गया.